सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रो के साथ दिया योगी सरकार को झटका - उत्तर प्रदेशिक्षामित्रो की बढ़ गई मुसीबत
उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्र बड़े पैमाने पर भाजपा सरकार का विरोध कर रही है क्योंकि शिक्षामित्रों का समायोजन सुप्रीम कोर्ट में रद्द हो चुका है , और योगी सरकार की पॉलिसी भी फेल हो गई है लेकिन अपनी डैमेज कंट्रोल पॉलिसी के बीच योगी सरकार को इस बार भी जोरदार झटका लगा है । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार द्वारा शिक्षा मित्रों की पुनः उसी स्कूल में तैनाती दिए जाने तथा उसके तरीके को अमान्य करार दिया है साथ ही शिक्षा मित्रों को स्कूल में ज्वाइन कराने के लिए सहायक अध्यापकों के पद खाली कराए जाने पर भी रोक लगा दी है।
हाई कोर्ट ने कहा है कि सहायक अध्यापकों को नहीं हटाया जाएगा और किस नियम के तहत शिक्षा मित्रों की तैनाती स्कूलों में की जाएगी अपने आदेश में हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि शिक्षा मित्र पैरा टीचर है और उन्हें सहायक अध्यापक के पद पर तैनात नहीं किया जा सकता है।
ऐसे में उनकी तैनाती के लिए स्कूल में पहले से तैनात शिक्षक को नहीं हटाया जा सकता है इससे शिक्षामित्रों की मुश्किलें काफी बढ़ गई है
सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन रद्द हो जाने के बाद लगातार शिक्षामित्र किसी न किसी मामले में उलझे रहें और बार-बार झटका लगता रहा है इसी क्रम में आज शिक्षामित्रों के पुनः पिछले स्कूल में तैनाती मिलने की राह भी मुश्किल हो गई है ।
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने शिक्षामित्रों को उनके पिछले स्कूल में तैनाती के लिए वहां कार्यरत शिक्षकों के ट्रांसफर पर रोक लगा दी है अर्थात शिक्षा मित्र को वापस स्कूल में पोस्टिंग देने के लिए किसी सहायक अध्यापक का ट्रांसफर नहीं किया जाएगा ।
ऐसे में शिक्षामित्रों के लिए योगी सरकार द्वारा दिया गया आदेश भी बेअसर हो गया जिसके अंतर्गत यह व्यवस्था की गई थी कि शिक्षा मित्रों को उनके मूल स्कूल में भी तैनाती दी जाएगी और अगर स्कूल में अध्यापक ज्यादा हो तो जूनियर अध्यापक का समायोजन दूसरे स्कूल में करा दिया जाएगा । हाई कोर्ट द्वारा योगी सरकार की इस बात को ठुकरा दिया गया है दूसरे शब्दों में कहें तो योगी सरकार के आदेश पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है ।
इसके साथ ही सहायक अध्यापकों की ओर से हाईकोर्ट में यह दलील दी गई थी कि शिक्षा मित्रों को जब बेसिक शिक्षा विभाग सहायक अध्यापक नहीं मान रहा है तो उन्हें सहायक अध्यापक के पद पर किस प्रकार तैनाती दी जा सकती है ।विभाग से पूछा गया कि जब शिक्षा मित्र शिक्षक नहीं है तो आखिर कौन सा आधार बनाकर उनकी तैनाती के लिए सहायक अध्यापकों को
स्कूल से हटाया जा रहा है हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में मांग की गई है कि शिक्षा मित्रों के पद सृजन के दौरान उनकी तैनाती जिस आधार पर स्कूलों में थी उसी आधार पर ही होनी चाहिए , साथ ही शिक्षा मित्रों की तैनाती के लिए सहायक अध्यापकों का ट्रांसफर नहीं किया जाना चाहिए जिस पर हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापकों को राहत देते हुए कहा है कि शिक्षा मित्र को शिक्षक मानना बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली 1981 का उल्लंघन है शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापकों को नहीं हटाया जा सकता है ।
इस प्रकार एक बार फिर उत्तर प्रदेश के हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सहायक अध्यापक के पक्ष में फैसला सुनाया है दरगाह की सहायक अध्यापकों को नहीं हटाया जा सकता है योगी सरकार अगर चाहती भी है कि सहायक अध्यापकों को हटाकर उनके जगह शिक्षामित्रों का समायोजन किया जाए तो यह नहीं हो सकता है । इस आदेश से योगी सरकार को जहां झटका लगा है वही शिक्षामित्रों को भी मायूसी हाथ लगी है शिक्षामित्रों की उम्मीदें और भी ज्यादा टूट गई है और योगी सरकार की वोट बैंक नीति भी फेल कर गई है।
हाई कोर्ट ने कहा है कि सहायक अध्यापकों को नहीं हटाया जाएगा और किस नियम के तहत शिक्षा मित्रों की तैनाती स्कूलों में की जाएगी अपने आदेश में हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि शिक्षा मित्र पैरा टीचर है और उन्हें सहायक अध्यापक के पद पर तैनात नहीं किया जा सकता है।
ऐसे में उनकी तैनाती के लिए स्कूल में पहले से तैनात शिक्षक को नहीं हटाया जा सकता है इससे शिक्षामित्रों की मुश्किलें काफी बढ़ गई है
सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन रद्द हो जाने के बाद लगातार शिक्षामित्र किसी न किसी मामले में उलझे रहें और बार-बार झटका लगता रहा है इसी क्रम में आज शिक्षामित्रों के पुनः पिछले स्कूल में तैनाती मिलने की राह भी मुश्किल हो गई है ।
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने शिक्षामित्रों को उनके पिछले स्कूल में तैनाती के लिए वहां कार्यरत शिक्षकों के ट्रांसफर पर रोक लगा दी है अर्थात शिक्षा मित्र को वापस स्कूल में पोस्टिंग देने के लिए किसी सहायक अध्यापक का ट्रांसफर नहीं किया जाएगा ।
ऐसे में शिक्षामित्रों के लिए योगी सरकार द्वारा दिया गया आदेश भी बेअसर हो गया जिसके अंतर्गत यह व्यवस्था की गई थी कि शिक्षा मित्रों को उनके मूल स्कूल में भी तैनाती दी जाएगी और अगर स्कूल में अध्यापक ज्यादा हो तो जूनियर अध्यापक का समायोजन दूसरे स्कूल में करा दिया जाएगा । हाई कोर्ट द्वारा योगी सरकार की इस बात को ठुकरा दिया गया है दूसरे शब्दों में कहें तो योगी सरकार के आदेश पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है ।
इसके साथ ही सहायक अध्यापकों की ओर से हाईकोर्ट में यह दलील दी गई थी कि शिक्षा मित्रों को जब बेसिक शिक्षा विभाग सहायक अध्यापक नहीं मान रहा है तो उन्हें सहायक अध्यापक के पद पर किस प्रकार तैनाती दी जा सकती है ।विभाग से पूछा गया कि जब शिक्षा मित्र शिक्षक नहीं है तो आखिर कौन सा आधार बनाकर उनकी तैनाती के लिए सहायक अध्यापकों को
स्कूल से हटाया जा रहा है हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में मांग की गई है कि शिक्षा मित्रों के पद सृजन के दौरान उनकी तैनाती जिस आधार पर स्कूलों में थी उसी आधार पर ही होनी चाहिए , साथ ही शिक्षा मित्रों की तैनाती के लिए सहायक अध्यापकों का ट्रांसफर नहीं किया जाना चाहिए जिस पर हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापकों को राहत देते हुए कहा है कि शिक्षा मित्र को शिक्षक मानना बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली 1981 का उल्लंघन है शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापकों को नहीं हटाया जा सकता है ।
इस प्रकार एक बार फिर उत्तर प्रदेश के हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सहायक अध्यापक के पक्ष में फैसला सुनाया है दरगाह की सहायक अध्यापकों को नहीं हटाया जा सकता है योगी सरकार अगर चाहती भी है कि सहायक अध्यापकों को हटाकर उनके जगह शिक्षामित्रों का समायोजन किया जाए तो यह नहीं हो सकता है । इस आदेश से योगी सरकार को जहां झटका लगा है वही शिक्षामित्रों को भी मायूसी हाथ लगी है शिक्षामित्रों की उम्मीदें और भी ज्यादा टूट गई है और योगी सरकार की वोट बैंक नीति भी फेल कर गई है।


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