नियोजित शिक्षकों का संवैधानिक मौलिक हक है -समान काम समान वेतन,नियोजित शिक्षक संबंधी मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई
Supreme Court Update
_माननीय सर्वोच्च न्यायालय में "समान काम समान वेतन" की अंतिम सुनवाई का आज सातवां दिन है। साथ ही शिक्षक संगठनों की ओर से अधिवक्ताओं के बहस का दूसरा दिन । आज दिनांक 14.8.18 को 10:30 बजे पुनः कोर्ट नम्बर-11 में SWSP की सुनवाई केस नं-1 पर ही है । आज की सुनवाई में माननीय न्यायाधीश ☆अभय मनोहर स्प्रे एवं उदय उमेश ललीत☆ की बैंच 1 बजे तक सुनवाई करेगी ।_
नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन को लेकर मंगलवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। शिक्षक संगठन की तरफ से वकील ने अपना पक्ष रखा। अब अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।...
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार के नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन के मामले पर मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में एक बार फिर सुनवाई हुई। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वेतन शिक्षकों का मौलिक अधिकार है और उन्हें समान काम का समान वेतन मिलना चाहिए।
आज दिनांक 14.8.18 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में "समान काम समान वेतन" की अंतिम सुनवाई के सातवें दिन की बहस समाप्त हुई।। आज के बहस में सिब्बल साहब ने मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) पर जोर देते हुए कहा कि मौलिक अधिकार के हनन संबंधित कोई भी नियम संविधान की आत्मा का हनन है । कोई भी कल्याणकारी राज्य इस तरह का भेद-भाव कैसे कर सकती है । उन्होंने सभी नियोजित शिक्षक की योग्यता NCTE के मानक के अनरूप है इस पर भी तर्कपूर्ण तरीक़े से अपना पक्ष रखा,जिसपर जज साहब भी सहमत दिखे। उन्होंने ने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा वित्तीय क्षमता को कमजोर दिखाना झूठ का पुलिंदा है, यह बिहार के शिक्षा एवं शिक्षक के विरूद्घ एक वित्तीय साजिश है। सरकार झूठी दलीलें देकर कोर्ट को गुमराह किया। उन्होंने कहा कि जब तीन बार दक्षता परीक्षा अनुत्तीर्ण शिक्षकों को नौकरी से हटा दिया गया है तो फिर दक्षता परीक्षा को केवल वेतन वृद्धि का मानक कैसे माना जा सकता है । समान काम समान वेतन शिक्षकों का मौलिक अधिकार है। सरकार पैसे की कमी का बहाना बनाकर हमारे अधिकार से वंचित नहीं कर सकती है। शिक्षकों का काम पढना है , शिक्षक अपना काम सही से कर रही है। पढ़ाई के लिये सरकार पैसे की व्यवस्था करे।साथ ही सरकार अपने शिक्षा संबंधी दायित्व को पूरा करे। आज की सुनावई की बहस समाप्त हुई,आगमी 16.8.18 को यह सुनवाई निरंतर रहेगी।
मंगलवार को शिक्षक संगठन के वकील ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखा जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा
कि नियोजित शिक्षक क्या टीईटी परीक्षा पास हैं? तो शिक्षक
संगठन के वकील ने कहा हां पास हैं, लेकिन यह परीक्षा वेतन वृद्वि के लिए ली गयी थी नियोजन के लिए नहीं। कोर्ट ने अन्य मसले पर भी जानकारी ली। आज की बहस समाप्त हो गयी अब इस मसले पर 16 अगस्त को एक बार फिर सुनवाई होगी।
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश यूयू ललित और अभय मनोहर सप्रे की कोर्ट में समान वेतन पर 31 जुलाई से सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है। कोर्ट ने अब तक राज्य सरकार के वकीलों का पक्ष जाना है। आज की सुनवाई इस वजह से महत्वपूर्ण रही क्योंकि कोर्ट ने शिक्षक संगठनों का पक्ष जाना और उनका तर्क सुना।
अब पुनः सुनवाई 16अगस्त को होगी ऐसा.माना जा रहा हैं कि अब सलमान खुर्शीद साहब बहस करेंगे।कुल मिलाकर नियोजित शिक्षकों का पक्ष अभी भी मजबूत स्थिति मे हैं और सुप्रीम कोर्ट का रूख भी नियोजित शिक्षको के प्रति साकारात्मक दिखा ।

_माननीय सर्वोच्च न्यायालय में "समान काम समान वेतन" की अंतिम सुनवाई का आज सातवां दिन है। साथ ही शिक्षक संगठनों की ओर से अधिवक्ताओं के बहस का दूसरा दिन । आज दिनांक 14.8.18 को 10:30 बजे पुनः कोर्ट नम्बर-11 में SWSP की सुनवाई केस नं-1 पर ही है । आज की सुनवाई में माननीय न्यायाधीश ☆अभय मनोहर स्प्रे एवं उदय उमेश ललीत☆ की बैंच 1 बजे तक सुनवाई करेगी ।_
नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन को लेकर मंगलवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। शिक्षक संगठन की तरफ से वकील ने अपना पक्ष रखा। अब अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।...
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार के नियोजित शिक्षकों के समान काम समान वेतन के मामले पर मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में एक बार फिर सुनवाई हुई। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वेतन शिक्षकों का मौलिक अधिकार है और उन्हें समान काम का समान वेतन मिलना चाहिए।
आज दिनांक 14.8.18 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में "समान काम समान वेतन" की अंतिम सुनवाई के सातवें दिन की बहस समाप्त हुई।। आज के बहस में सिब्बल साहब ने मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) पर जोर देते हुए कहा कि मौलिक अधिकार के हनन संबंधित कोई भी नियम संविधान की आत्मा का हनन है । कोई भी कल्याणकारी राज्य इस तरह का भेद-भाव कैसे कर सकती है । उन्होंने सभी नियोजित शिक्षक की योग्यता NCTE के मानक के अनरूप है इस पर भी तर्कपूर्ण तरीक़े से अपना पक्ष रखा,जिसपर जज साहब भी सहमत दिखे। उन्होंने ने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा वित्तीय क्षमता को कमजोर दिखाना झूठ का पुलिंदा है, यह बिहार के शिक्षा एवं शिक्षक के विरूद्घ एक वित्तीय साजिश है। सरकार झूठी दलीलें देकर कोर्ट को गुमराह किया। उन्होंने कहा कि जब तीन बार दक्षता परीक्षा अनुत्तीर्ण शिक्षकों को नौकरी से हटा दिया गया है तो फिर दक्षता परीक्षा को केवल वेतन वृद्धि का मानक कैसे माना जा सकता है । समान काम समान वेतन शिक्षकों का मौलिक अधिकार है। सरकार पैसे की कमी का बहाना बनाकर हमारे अधिकार से वंचित नहीं कर सकती है। शिक्षकों का काम पढना है , शिक्षक अपना काम सही से कर रही है। पढ़ाई के लिये सरकार पैसे की व्यवस्था करे।साथ ही सरकार अपने शिक्षा संबंधी दायित्व को पूरा करे। आज की सुनावई की बहस समाप्त हुई,आगमी 16.8.18 को यह सुनवाई निरंतर रहेगी।
मंगलवार को शिक्षक संगठन के वकील ने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रखा जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा
कि नियोजित शिक्षक क्या टीईटी परीक्षा पास हैं? तो शिक्षक
संगठन के वकील ने कहा हां पास हैं, लेकिन यह परीक्षा वेतन वृद्वि के लिए ली गयी थी नियोजन के लिए नहीं। कोर्ट ने अन्य मसले पर भी जानकारी ली। आज की बहस समाप्त हो गयी अब इस मसले पर 16 अगस्त को एक बार फिर सुनवाई होगी।
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश यूयू ललित और अभय मनोहर सप्रे की कोर्ट में समान वेतन पर 31 जुलाई से सुनवाई की प्रक्रिया चल रही है। कोर्ट ने अब तक राज्य सरकार के वकीलों का पक्ष जाना है। आज की सुनवाई इस वजह से महत्वपूर्ण रही क्योंकि कोर्ट ने शिक्षक संगठनों का पक्ष जाना और उनका तर्क सुना।
अब पुनः सुनवाई 16अगस्त को होगी ऐसा.माना जा रहा हैं कि अब सलमान खुर्शीद साहब बहस करेंगे।कुल मिलाकर नियोजित शिक्षकों का पक्ष अभी भी मजबूत स्थिति मे हैं और सुप्रीम कोर्ट का रूख भी नियोजित शिक्षको के प्रति साकारात्मक दिखा ।


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