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NCTE और RTE के नाम रही आज की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई - नियोजित शिक्षक संबंधी मामला


 बिहार:  आज दिनांक 14.8.18 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में "समान काम समान वेतन" की अंतिम सुनवाई के सातवें दिन की बहस समाप्त हुई। SWSP की बहस की शुरुआत आदणीय पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री-सह-वरिष्ठ अधिवक्ता  कपिल सिब्बल साहब के द्वारा जोरदार तरीके के साथ हम नियोजित शिक्षकों के पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखा। आज के बहस में सिब्बल साहब ने मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) पर जोर देते हुए कहा कि मौलिक अधिकार के हनन संबंधित कोई भी नियम संविधान की आत्मा का हनन है । कोई भी कल्याणकारी राज्य इस तरह का भेद-भाव कैसे कर सकती है । उन्होंने सभी नियोजित शिक्षक की योग्यता NCTE के मानक के अनरूप है इस पर भी तर्कपूर्ण तरीक़े से अपना पक्ष रखा,जिसपर जज साहब भी सहमत दिखे। उन्होंने ने कहा कि बिहार सरकार के द्वारा वित्तीय क्षमता को कमजोर दिखाना झूठ का पुलिंदा है, यह बिहार के शिक्षा एवं  शिक्षक के विरूद्घ एक वित्तीय साजिश है। सरकार  झूठी दलीलें देकर कोर्ट को गुमराह किया।  उन्होंने कहा कि जब तीन बार दक्षता परीक्षा अनुत्तीर्ण शिक्षकों को नौकरी से हटा दिया गया है तो फिर दक्षता परीक्षा को केवल वेतन वृद्धि का मानक कैसे माना जा सकता है । समान काम समान वेतन  शिक्षकों का मौलिक अधिकार है। सरकार पैसे की कमी का बहाना बनाकर हमारे अधिकार से वंचित नहीं कर सकती है। शिक्षकों का काम पढ़ाना है , शिक्षक अपना काम सही से कर रही है। पढ़ाई के लिये सरकार पैसे की व्यवस्था  करे।साथ ही सरकार अपने शिक्षा संबंधी दायित्व को पूरा करे।


अंतिम सुनवाई के सातवें दिन सभी अधिवक्ताओं की सहमति से आज कपिल सिब्बल ने 58 मिनट तक अपनी बात रखकर सी ए सुंदरम द्वारा अच्छी और धारदार शुरुआत पर सरपट गाड़ी दौड़ाते हुए वित्तीय स्थिति और RTE Act 2009 और बिहार RTE Rules 2011 पर  फोकस करते नजर आए।उन्होंने खासकर वित्तीय स्थिति पर बेहतर तरीके से अपनी बात रखते हुए स्पष्ट करने का प्रयास किया कि सरकार की वित्तीय स्थिति से judiciary का कोई लेना देना नही है। मूलभूत अधिकारों का पूरा करना सरकार की बाध्यता है,उसमें वित्त का बहाना कानून के खिलाफ है।उन्होंने सरकारी अधिवक्ता  द्वारा दिए गए झूठी दलील को भी प्रमाणिक तरीके से काटते हुए साफ किया कि समान कार्य समान वेतन लागू होने पर 28,000 हजार  करोड़ का अतिरिक्त भार नही महज 4 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

RTE एक्ट और बिहार RTE रूल्स पर चर्चा करते हुए उन्होंने स्पस्ट किया है कि सरकार समान कार्य करने वाले शिक्षकों को समान वेतन न देकर  Right of Children to Free and Compulsory Education Act,2009("RTEAct") and Bihar State Free and Compulsory Education of Children Rules,2011("Bihar RTE Rules") का उल्लघंन कर रही है।

 आगामी सुनवाई 16 अगस्त को कोर्ट नंबर 11 में 13.8 पर लिस्टेड है।कोर्ट का अवधि पूरा दिन है।उस दिन एक बार फिर आदरणीय सी आर्यमा सुंदरम पूरी तैयारी के साथ बहस करेंगे।

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