सलमान खुर्शीद ने जज् महोदय से मनवा ली ये बात,'नियमित होगे नियोजित शिक्षक'- नियोजित शिक्षक बिहार सामान काम सामान वेतन मामला
सुप्रीम कोर्ट का रूख सकारात्मक रहा -
नई दिल्लीः बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों के मामले में 28 अगस्त को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी.जस्टिस ए एम सप्रे और जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ में गुरुवार को नियोजित शिक्षकों ने अपना पक्ष रखा. वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया, सलमान खुर्शीद, विभा दत्त मखीजा ने पक्ष रखा.वरिष्ठ वकील विभा दत्त मखीजा ने शिक्षकों का पक्ष रखते हुए कहा कि आरटीई एक्ट के तहत बेहतर शिक्षा के लिए क्वालिटी टीचर पर राज्य सरकार पैसा खर्च नहीं करना चाहती और अगर क्वालिटी टीचर चाहिए तो उसके लिए पैसे तो खर्च करने होंगे ऐसे में राज्य सरकार इससे पीछे नहीं हट सकती.
वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसरिया ने एक आंकड़ा कोर्ट के समझ प्रस्तुत करते हुए कहा कि लगभग 1500 करोड़ की राशि शिक्षा विभाग ने उपयोग ही नहीं किया. अगर यह राशि उपयोग होती तो शिक्षकों की कई समस्याओं का समाधान हो जाता. नियोजित शिक्षकों की सेवाशर्तें तथा अनुशासनिक कार्यवाई की समस्त प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा ही अधिनियमित की जाती है. इस आधार पर नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी है.
उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिहार में शिक्षक संवर्ग जीवित संवर्ग है. राज्य सरकार द्वारा इस संवर्ग में समय-समय पर बहाली की जाती है. सिर्फ नियोजित शिक्षकों को मूल वेतनमान देने से बचने के लिये सरकार झूठ बोल रही है. शिक्षकों के सवाल को पीछे धकेलकर सिर्फ डाइंग (मृत कैडर) कहकर सरकार पल्ला झाड़ना चाहती है.
लंच के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने शिक्षकों का पक्ष रखते हुए कहा कि अगर सरकार आज की परिस्थिति में भी इस गंभीरता को नहीं समझेगी तो राष्ट्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ समझा जायेगा. खुर्शीद ने कहा कि शिक्षक की भूमिका के बिना चाइल्ड सेंटर्ड एजुकेशन अर्थहीन है. शिक्षक शिक्षा व्यवस्था की आत्मा हैं, जिसकी अनदेखी दुर्भाग्यपूर्ण है. विद्यालय की संरचना केवल भवन, उपस्कर, बच्चे ही नहीं हैं, बल्कि इन सबसे महत्वपूर्ण शिक्षक हैं. और जब तक शिक्षक संतुष्ट व योग्य नहीं होंगे, उनका जीवन सम्मानजनक नहीं होगा, तब तक राष्ट्र का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता है.
उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 21, 21 (क) को एक साथ पढ़ने का अनुरोध किया जिसमें देश के प्रत्येक नागरिक को प्राण रक्षा व गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है. गरिमापूर्ण जीवन तभी मिल सकता है जब देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो और उसे योग्य शिक्षकों द्वारा शिक्षा मिले. जब शिक्षकों की योग्यता व कार्य समान है और वे एक ही सरकारी भवन में पढ़ा रहे हैं, तो यह विभेद उत्पन्न कर भारत व राज्य सरकार पूरे देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है. साथ ही संवैधानिक मर्यादाओं, नियमों, उपबंधों एवं प्रतिबद्धताओं की धज्जियां उड़ा रही है.
उन्होंने कहा कि नियोजन की नीति का उद्देश्य शिक्षकों के शोषण के अलावा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार स्थानीय निकाय के नाम पर पिछले 12 सालों से नियोजित शिक्षकों का शोषण कर रही है. बिहार के सभी शिक्षक हर मानक को पूरा करते हैं, सिर्फ शोषण के लिए इन्हें सरकार ने विभिन्न कोटियों में बांट रखा है. उन्होंने कहा कि शिक्षक सम्मानजनक व बेहतर जीवन यापन के लिए हमेशा दूसरे विकल्प की तलाश में रहते हैं, यह शिक्षा के लिए अच्छा नहीं है.
इसके बाद कोर्ट के जजों ने पुराने एवं नये नियोजित शिक्षकों को छठे व सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुसार विसंगित वेतन के बारे में पूछा तो बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अधिवक्ता अभय कुमार ने विसंगति पूर्ण डाटा कोर्ट के समझ प्रस्तुत किया जिसे रिकॉर्ड में रखा गया.
अंत में वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्त मखीजा ने भी शिक्षकों का पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य के नियोजित शिक्षक एनसीटीई और आरटीई की तहत सभी अर्हताओं को पूर्ण करते हैं और योग्य हैं. तथा मांग की कि इस बारे में पटना हाईकोर्ट के निर्णय को बहाल रखा जाए.
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव सह पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बताया कि अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी और संघ की ओर वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी नियोजित शिक्षकों का पक्ष रखेंगे.
संघ के मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि उनकी संघ के अध्यक्ष सह विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय के नेतृत्व में एक टीम पूरे आंकड़े व सरकारी अभिलेखों व दस्तावेजों के साथ लगातार दिल्ली में कैंप कर रही है. इसमें संघ के राज्य कार्यसमिति सदस्य राजीव कुमार (पप्पू जी), प्रवीण कुमार, मृत्युंजय कुमार, प्रांतीय संयुक्त सचिव अरुण यादव और विनय मोहन शामिल हैं. यह टीम शिक्षकों के अधिवक्ताओं को जरूरी कागजात उपलब्ध करा रही है और इस काम में शिक्षक प्रतिनिधि विधान पार्षद प्रो. संजय कुमार, संजीव कुमार का महत्वपूर्ण सहयोग मिल रहा है.



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